গ্রহযাগতত্ত্বে নবগ্রহের ধ্যান
সূর্যের
ধ্যান
क्षत्रियं
काश्यपं रक्तं कालिङ्गं
द्वादशाङ्गुलम्।
पद्महस्तद्वयं पूर्वाननं सप्ताश्ववाहनम्॥
शिवाधिदैवतं सूर्यं वह्निप्रत्यधिदैवतम्॥"
पद्महस्तद्वयं पूर्वाननं सप्ताश्ववाहनम्॥
शिवाधिदैवतं सूर्यं वह्निप्रत्यधिदैवतम्॥"
ক্ষত্রিয়,
কশ্যপগোত্রী,
লাল,
কলিঙ্গদেশী,
বারো-আঙুলে,
দুহাতে
পদ্মধরে থাকা,
পুবমুখী,
সাত
ঘোড়া যার বাহন,
শিব
যার অধিদেবতা এবং অগ্নি যার
প্রত্যধিদেবতা সেই সূর্যকে;
চন্দ্রের
ধ্যান
सामुद्रं
वैश्यमात्रेयं हस्तमात्रं
सिताम्बरम्।
श्वेतं द्विबाहुं वरदं दक्षिणं सगदेतरम्॥
दशाश्वं श्वेतपद्मस्थं विचिन्त्योमाधिदैवतम्।
जलप्रत्यधिदैवञ्च सूर्यास्यमाह्वयेत्तथा॥
श्वेतं द्विबाहुं वरदं दक्षिणं सगदेतरम्॥
दशाश्वं श्वेतपद्मस्थं विचिन्त्योमाधिदैवतम्।
जलप्रत्यधिदैवञ्च सूर्यास्यमाह्वयेत्तथा॥
সিন্ধুদেশী,
বৈশ্য,
অত্রিগোত্রীয়,
এক
হাত,
সাদা
কাপড় পরা,
সাদা,
দুই-হাত-বিশিষ্ট,
বরদানকারী,
অন্য
হাতে গদাধারী,
দশটা
ঘোড়াবিশিষ্ট,
সাদা
পদ্মের উপর থাকা রূপে [সোমকে]
চিন্তা
করে,
যার
অধিদেবতা উমা আর প্রত্যধিদেবতা
জল,
সূর্যের
দিকে মুখকরা [সেই
সোমকে]
[এইরূপে]
ডাকা
উচিত |
মঙ্গলের
ধ্যান
आवन्त्यं
क्षत्रियं रक्तं मेषस्थं
चतुरङ्गुलम्।
आरक्तमाल्यवसनं भारद्वाजं चतुर्भुजम्॥
दक्षिणोर्द्धक्रमाच्छक्तिवराभयगदाकरम्।
आदित्याभिमुखं देवं तद्वदेव समाह्वयेत्॥
स्कन्दाधिदैवतं भौमं क्षितिप्रत्यधिदैवतम्॥
आरक्तमाल्यवसनं भारद्वाजं चतुर्भुजम्॥
दक्षिणोर्द्धक्रमाच्छक्तिवराभयगदाकरम्।
आदित्याभिमुखं देवं तद्वदेव समाह्वयेत्॥
स्कन्दाधिदैवतं भौमं क्षितिप्रत्यधिदैवतम्॥
অবন্তিদেশী,
ক্ষত্রিয়,
লাল,
ভেড়া
যার বাহন,
চার-আঙুলে,
রাঙানো
মালা আর কাপড়পরা,
ভরদ্বাজগোত্রীয়,
চারহাত-বিশিষ্ট--
যেগুলোয়
ডানদিকের নীচ থেকে ক্রমশঃ
শক্তি,
বরমুদ্রা,
অভয়মুদ্রা
এবং গদা রয়েছে,
সূর্যের
দিকে মুখ করে থাকা,
কার্ত্তিক
যার অধিদেবতা আর পৃথিবী যার
প্রত্যধিদেবতা,
ভূমিপুত্র
[মঙ্গলকেও]
[এইরূপে]
ডাকা
উচিত |
বুধের
ধ্যান
मागधं
द्व्यङ्गुलात्रेयं वैश्यं
पीतं
चतुर्भुजम्।
वामोर्द्ध्वक्रमतश्चर्मगदावरदखडगिनम्॥
सूर्यास्यं सिंहगं सौम्यं पीतवस्त्रं तथाह्वयेत्।
नारायणाधिदैवञ्च विष्णुप्रत्यधिदैवतम्॥"
वामोर्द्ध्वक्रमतश्चर्मगदावरदखडगिनम्॥
सूर्यास्यं सिंहगं सौम्यं पीतवस्त्रं तथाह्वयेत्।
नारायणाधिदैवञ्च विष्णुप्रत्यधिदैवतम्॥"
মগধদেশী,
দু'আঙুলে,
অত্রিগোত্রীয়,
বৈশ্য,
হলুদ,
চার-হাতবিশিষ্ট--
যেগুলোয়
বাঁদিকের নিচ থেকে ক্রমশঃ
চামড়া,
গদা,
বরদমুদ্রা
আর খড়্গ রয়েছে,
সূর্যের
দিকে মুখ করা,
সিংহের
উপর চড়া,
চাঁদের
সন্তান,
হলুদ
কাপড় পরা,
যার
অধিদেবতা নারায়ণ আর প্রত্যধিদেবতা
বিষ্ণু,
[সেই
বুধকেও]
[এইরূপে]
ডাকা
উচিত |
বৃহস্পতির
ধ্যান
द्विजमाङ्गिरसं
पीतं सैन्धवञ्च षडङ्गुलम्।
ध्यात्वा पीताम्बरं जीवं सरोजस्थं चतुर्भुजम्॥
दक्षोर्द्ध्वादक्षवरदकरकादण्डमाह्वयेत्।
ब्रह्माधिदैवं सूर्यास्यमिन्द्रप्रत्यधिदैवतम्॥"
ध्यात्वा पीताम्बरं जीवं सरोजस्थं चतुर्भुजम्॥
दक्षोर्द्ध्वादक्षवरदकरकादण्डमाह्वयेत्।
ब्रह्माधिदैवं सूर्यास्यमिन्द्रप्रत्यधिदैवतम्॥"
ব্রাহ্মণ,
অঙ্গিরার
গোত্রজ,
হলদে,
সাগরের
সন্তান,
ছ'-আঙুলে,
হলুদ
কাপড় পরা,
পদ্মের
উপরে থাকা,
চারহাত-বিশিষ্ট--
যার
ডানদিকের নিচ থেকে যথাক্রমে
সুতো,
বরদমুদ্রা,
পাত্র
আর ডাণ্ডা রয়েছে,
সূর্যের
দিকে মুখ করা,
ব্রহ্মা
যার অধিদেবতা আর ইন্দ্র যার
প্রত্যধিদেবতা,
সেই
জীবকে (বৃহস্পতির
আরেক নাম জীব)
[এইরূপে]
ডাকা
উচিত |
শুক্রের
ধ্যান
शुक्रं
भोजकटं विप्रं भार्गवञ्च
नवाङ्गुलम्।
पद्मस्थमाह्वयेत् सूर्यमुखं श्वेतं चतुर्भुजम्॥
सदाक्षवरकरकादण्डहस्तं सिताम्बरम्।
शक्राधिदैवतं ध्यायेत् शचीप्रत्यधिदैवतम्॥
पद्मस्थमाह्वयेत् सूर्यमुखं श्वेतं चतुर्भुजम्॥
सदाक्षवरकरकादण्डहस्तं सिताम्बरम्।
शक्राधिदैवतं ध्यायेत् शचीप्रत्यधिदैवतम्॥
ভোজকটদেশীয়
(বিদর্ভদেশীয়),
ব্রাহ্মণ,
ভৃগুবংশীয়,
নয়-আঙুলে,
পদ্মে
বসা,
সূর্যের
দিকে মুখ করা,
সাদা,
চারহাত-বিশিষ্ট--
যেগুলোয়
যথাক্রমে সুতো,
বরদমুদ্রা,
পাত্র
আর ডাণ্ডা রয়েছে,
সাদা
কাপড় পরা,
ইন্দ্র
যার অধিদেবতা আর শচী যার
প্রত্যধিদেবতা সেই শুক্রকে
[এইরূপে]
ধ্যান
করা উচিত |
শনির
ধ্যান
सौराष्ट्रं
काश्यपं शूद्रं सूर्यास्यं
चतुरङ्गुलम्।
कृष्णं कृष्णाम्बरं गृध्रगतं सौरिं चतुर्भुजम्॥
तद्वद्बाणवरं शूलं धनुर्हस्तं समाह्वयेत्।
यमाधिदैवतं प्रजापतिप्रत्यधिदैवतम्॥
कृष्णं कृष्णाम्बरं गृध्रगतं सौरिं चतुर्भुजम्॥
तद्वद्बाणवरं शूलं धनुर्हस्तं समाह्वयेत्।
यमाधिदैवतं प्रजापतिप्रत्यधिदैवतम्॥
সৌরাষ্ট্রদেশী,
কশ্যপগোত্রীয়,
শূদ্র,
সূর্যের
দিকে মুখ করা,
চার-আঙুলে,
কালো,
কালো
কাপড় পরা,
শকুনের
উপর চড়া,
চারহাত-বিশিষ্ট--
যেগুলোয়
যথাক্রমে তির,
বরদমুদ্রা,
শূল
আর ধনুক রয়েছে,
যম
যার অধিদেবতা আর প্রজাপতি
যার প্রত্যধিদেবতা,
সূর্যের
সন্তান,
[শনিকে
এইরূপে]
ডাকা
উচিত |
রাহুর
ধ্যান
राहुं
मलयजं शूद्रं पैठीनं
द्वादशाङ्गुलम्।
कृष्णं कृष्णाम्बरं सिंहासनं ध्यात्वा तथाह्वयेत्॥
चतुर्ब्बाहुं खड्गवरशूलचर्मकरन्तथा।
कालाधिदैवं सूर्यास्यं सर्पप्रत्यधिदैवतम्॥
कृष्णं कृष्णाम्बरं सिंहासनं ध्यात्वा तथाह्वयेत्॥
चतुर्ब्बाहुं खड्गवरशूलचर्मकरन्तथा।
कालाधिदैवं सूर्यास्यं सर्पप्रत्यधिदैवतम्॥
মলয়ের
পুত্র,
পীঠদেশীয়,
বারো-আঙুলে,
কালো,
কালো
কাপড় পরা,
সিংহের
উপর বসা,
সূর্যের
দিকে মুখ করা,
চারহাত-বিশিষ্ট
– যেগুলোয় যথাক্রমে খড়্গ,
বরদমুদ্রা,
শূল
আর চামড়া রয়েছে,
কাল
যার অধিদেবতা ও সর্প (রুদ্র?)
যার
প্রত্যধিদেবতা,
সেই
রাহুকে এইরূপে ধ্যান করে ডাকা
উচিত |
কেতুর
ধ্যান
कौशद्वीपं
केतुगणं जैमिनीयं षडङ्गुलम्।
धूम्रं गृध्रगतं शूद्रमाह्वयेद्विकृताननम्॥
सूर्यास्तं धूम्रवसनं वरदं गदिनं तथा।
चित्रगुप्ताधिदैवञ्च ब्रह्मप्रत्यधिदैवतम्॥" इति ग्रहयागतत्त्वम्॥
धूम्रं गृध्रगतं शूद्रमाह्वयेद्विकृताननम्॥
सूर्यास्तं धूम्रवसनं वरदं गदिनं तथा।
चित्रगुप्ताधिदैवञ्च ब्रह्मप्रत्यधिदैवतम्॥" इति ग्रहयागतत्त्वम्॥
কুশদ্বীপীয়,
জৈমিনির
গোত্রজ,
ছ'আঙুলে,
ছাইরঙা,
শকুনের
উপর চড়া,
শূদ্র,
বিকটমুখো,
সূর্যের
দিকে মুখ করা,
ছাইরঙা
কাপড় পরা,
বরদমুদ্রা
ও গদা ধরে থাকা,
চিত্রগুপ্ত
যাদের অধিদেবতা ও ব্রহ্মা
যাদের প্রত্যধিদেবতা সেই
কেতুর দলকে [এইভাবে]
ডাকা
উচিত |
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